गुरुवार, 18 मार्च 2010

पितृ देवो भवः

पिता देव है। माँ की ममता धरती से भी भरी है और पिता का स्थान आकाश से भी ऊँचा है, क्योंकि बेटे के लिए पिता के अरमान आकाश से भी ऊँचे होते हैं।
दुनिया में कोई किसी को अपने से आगे बढ़ता और ऊँचा उठता नहीं देख सकता। एक पिता हई है, जो अपनी संतान को अपने से सवाया होता हुआ देख कर खुश होता है।
देश के नौजवानों ! अपने पर्स में रूपये की जगह अपने पिता की तस्वीर रखिये क्योंकि उस तस्वीर ने हई तुम्हारी तक़दीर संवारी है। पेड़ बुध हई संही, आँगन में लगा रहने दो। फल न संही , छाँव तो देगा।

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