बुधवार, 24 अगस्त 2016

बात पते की

कुछ बातें ............

1👌मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर
       माँगना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है
       और एहसान जिंदगी भर का.....

2👌मशवरा तो खूब देते हो "खुश रहा करो" कभी
       कभी वजह भी दे दिया करो...

3👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और
       करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला
       की, गरीब वो था की मैं....

4👌गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना
       था वो कमाया ही नहीं

5👌मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना
       हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के
       लिए....

6👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ
       लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

7👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें
       छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर
       ही खुलती थी...

8👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को
       हैं...

9👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से
       अच्छा है की,माफ़ी मांगकर वो रिश्ता
        निभाया जाये....

10👌जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर
         गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...

11👌खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर में
         तो हर कोई मुस्कुराता है...

12👌ज़िंदगी भी विडियो गेम सी हो गयी है  एक
         लैवल क्रॉस करो तो अगला लैवल और
          मुश्किल आ जाता हैं.....

13👌इतनी चाहत तो लाखो रु पाने की भी नही
         होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर
         बचपन में जाने की होती है.......

14👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की
         कोशिश किया करो , क्योंकि इन्सान पहाड़ो
         से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है ..

मंगलवार, 8 मार्च 2016

मैं नारी

मैं सृष्टि मैं जन्मदायनि
मैं शक्ति मैं भक्ति
मैं आस्था मैं विश्वास
बिन मेरे
है संसार अधुरा
फिर
क्यों माँगू मैं अधिकार ,सम्मान
क्यों लडूं अस्तित्व की लड़ाई
क्यों मनाओ तुम दिवस मेरा
है हर पल, हर क्षण मेरा
है हर वक्त मेरा

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

मेरा भारत महान

सहिष्णु____असहिष्णु____???

           तुम्हारे आदाब के अभिवादन का उत्तर नमस्कार से देते ही मैं कट्टर हो जाता हूँ । अगर सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ता हूँ तो संघी हूँ ।  अगर धोती कुरता पहनता हूँ तो भारतीय नहीं रहता तुरंत हिन्दू हो जाता हूँ । तिलक लगाने से मुझे डर है कहीं भगवा आतंकी न घोषित हो जाऊँ ।

मैं अपने ही देश में अपने तौर तरीके से क्यों नहीं रह सकता, मेरी पहचान छीनी जा रही है क्यों........????
मुझे मेरे ही घर से निकालने की ये आखिर किसकी साजिश है......????

सरकार बहुमत से चुनी जाती है और वो काम करती है अल्पसंख्यक कल्याण के लिए क्यों..........????
अगर हम बहुसंख्यक हैं और हमारे बहुमत से चुनी हमारी सरकार हमारे ही कल्याण के लिए योजनाएँ क्यों नहीं बना सकती.........????

क्यों हमें अपने पवित्र धर्म व गाय की रक्षा के लिए बकरी की तरह मिमियाना पड़ता है.......????
क्यों मुझे हिंदुत्व की बात कहने के लिए भारतीयता का आवरण ओढ़ना पड़ता है......????

हम अपने धर्म की बात आखिर अपनी ही मातृभूमि पे क्यों नहीं कर सकते.....????
क्यों मुझे ही सर्वधर्म समभाव की बात करनी पड़ती है । क्यों मैं अपने धर्म की बात दृढ़ता से कहने पे कट्टर हो जाता हूँ.........????

इन सारे क्यों का उत्तर है एक क्योंकि हम " सहिष्णु " हैं । इसलिए क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की नीति को मानने वाले हैं । तुम उन्हें असहिष्णु कह रहे हो जिनके पूर्वज युद्ध भी नियमों से किया करते थे सूर्यास्त के बाद शत्रु चाहे बगल में भी हो उसका वध नहीं करते थे । निहत्थे  पे वार नहीं करते थे । हमारी इन्हीं अच्छाइयों के कारण हम पराजित हुए क्योंकि हम युद्ध में भी " सहिष्णु " थे ।  जिसका परिणाम आज ये है कि तुम हमें " असहिष्णु " कह पा रहे हो ।

पृथ्वीराज चौहान क्यों तुम असहिष्णु न हुए और पहली ही बार में पराजित गोरी का सर धड़ से अलग क्यों न कर दिया.......????

तुम अभिनेता हो ,  एक बात बताओ अगर राष्ट्र में इतनी ही असहिष्णुता रही है तो तुम मुस्लिम होने के बावजूद इतने बड़े सितारे कैसे बन गए.....????  ठीक है तुम अवार्ड वापस करो पर पहले हम जैसे सभी असहिष्णुओं के वो पैसे वापस करो जो हमने तुम्हारी सारी फिल्मों के टिकट पे खर्च किये थे । सब समझ आ जायेगा जब पदक की जगह भिक्षा पात्र हाथ में आ जायेगा ।

पहनाई गई फूलों की माला को वापस करने से सम्मान वापस नहीं होता ।  अगर पुरूस्कार वापस करना है तो पुरूस्कार देने में लगा वो सारा समय भी वापस करो नहीं तो ये स्वांग बंद करो ।
अपने लिए विशेष दर्जा मांग कर समानता की बात करना जायज है क्यों......????

बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

एक बाद याद रखना दोस्तों ढूंढने से वही मिलते हैं जो खो गये हैं, वो नही जो बदल गये हैं।

मेरा देश

जिस तरह का माहौल आज देश में है उसे देख कर मन बहुत व्यथित हो जाता है।अचानक से देश को हो क्या गया है? धर्म और जाति के नाम पर ये कैसा खेल खेल जा रहा है आम आदमी के जीवन से ? उस पर ये नेता जो हर वक्त सुरक्षा कर्मियों से घिरे रहते है अपने वोट की राजनीती के लिए कितना जहर उगल रहे है। इनके मनमे एक बार भी ख्याल नहीं आता की इनके इन जहरीले बातों से देश  का वातावरण कितना जहरीला होता जा रहा है।क्यों ये आम आदमी को चैन से जीने नहीं देना नहीं चाहते हैं? ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो यह किसी साजिश के तहत हो रहा है स्वतंत्रता के बाद 66 साल में किसी अन्य पार्टी का पूर्ण बहुमत से सरकार में आना कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और कुछ इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं।इसका जो भी परिणाम निकल रहा है उसे भुगत सिर्फ आम आदमी रहा है।लगता है मेरा देश सिर्फ जाति और धर्म की आग में जलता रहेगा और ये राजनेता अपने स्वार्थ के लिए इस आग को कभी बुझने नहीं देंगे। कोई कृष्ण, कोई राम नहीं जन्म लेगा इन पापियों का अंत करने। हमें ही जागना  होगा ,हमें ही सचेत होना होगा की कोई हमारे बीच कोई राजनेता ,कोई धार्मिक नेता जहर न उगल सके।हम पहले इंसान हैं फिर किसी या जाति या धर्म के है।जाति, धर्म को आपने घर की चार दिवारी तक ही सिमित रखे घर के बाहर हम सिर्फ इंसान  रहे एक आम आदमी ।

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

क्रोध

क्रोध एक ऐसा तेजाब है,जो जिस चीज पे डाला जाता है, उससे ज्यादा उस पात्र को नुकसान पहुँचता है जिसमे वो रखा है।

शनिवार, 31 अगस्त 2013

                                                 हाइकू



     १) टपकती  बूंदे
          गेसुओ  से उसके
          गिरते मोती

    २)चिलचिलाती धूप
        तपती सड़क पर अकेला
         वो दिवाना