गुरुवार, 18 मार्च 2010

अब समझ आया

मेरे पतिदेव इसे कंही से लाये थे। अब आप सब के साथ बाँट रही हूँ।
अपने जीवनकाल में उम्र के हर पड़ाव पर हर व्यक्ति का अपने पिता की ओर देखने का नजरिया
४ वर्ष की आयु में - मेरे पितेजी महान हैं।
६ वर्ष की आयु में - मेरे पिता सबकुछ जानते हैं।
१० वर्ष की आयु में - मेरे पिता बहुत अच्छे हैं, लेकिन गुस्सा बहुत जल्दी होते हैं।
१३ वर्ष की आयु में - मेरे पिता बहुत अच्छे थे जब मै छोटा था।
टीन एज का प्रारम्भ
१४ वर्ष की आयु में - मेरे पिताजी बहुत तुनकमिजाज होते जा रहे हैं।
१६ वर्ष की आयु में - पिताजी ज़माने के साथ नहीं चल पाते, बहुत पुराने ख्यालात के हैं।
१८ वर्ष की आयु में - पिताजी तो लगभग संकी हो चले हैं।
२० वर्ष की आयु में -हे भगवन अब तो पिताजी को झेलना मुश्किल होता जा रहा है, पता नहीं माँ उन्हें
कैसे सहन कर पाती हैं।
२५ वर्ष की आयु में - पिताजी तो मेरी हर बात का विरोध करतें हैं।
३० वर्ष की आयु में - मेरे बच्चे को समझाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है, जबकि मै अपने पिताजी
से बहुत डरता था, जब मै छोटा था।
४० वर्ष की आयु में - मेरे पिताजी ने मुजको बहुत अनुशासन के साथ पाला। मुझे भी अपने बच्चे के
साथ ऐसा हई करना चाहिए।
४५ वर्ष की आयु में - मै आश्चर्यचकित हूँ कि कैसे मेरे पिता ने हमें बड़ा किया होगा।
५० वर्ष की आयु में - मेरे पिता ने हमें यंहा तक पहुचने के लिए बहुत कष्ट उठाये, जबकि मै अपनी
औलाद कि देखभाल हई ठीक से नहीं कर पाता।
५५वर्श की आयु में - मेरे पिताजी बहुत दूरदर्शी थे और उन्होंने हमारे लिए कई योजनाएं बनाईं थीं। वे
अपने आप में बेहद उच्चकोटि के इंसान थे।
६० वर्ष की आयु में - वाकई मेरे पिताजी महान थे।
अर्थात ' पिता महान है' इस बात को पूरी तरह से समझने में व्यक्ति को ५६ वर्ष लग जाते हैं।

1 टिप्पणी:

  1. Bahut hi sundar, mai to kahung ki sundarta ka raj iski swabhawik sweekaarokti me hai. yah saundary satya ka hai. Nishchhal ehsaas ka hai shaabash,,,,,,,,

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