गुरुवार, 25 मार्च 2010

व्यक्तित्व विकास

आज शाम को महिलाओं की पत्रिका 'गृहलक्ष्मी ' पढ़ रही थी उसमे एक स्तम्भ 'व्यक्तित्व विकास ' पढ़ी उसमे कुछ पाठको ने आपने वय्क्तिताव की खामियों व उसके विकास से सम्बंधित कुछ सवाल किये थे जिनका उत्तर हमारे लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है अतः आप सबके लिए उन्ही के कुछ अंश :-
बोलना :- सहीं बोलें, समय पर बोलें , सहीं व्यक्ति के सामने बोलें, संक्षिप्त बोलें, सप्रमाण बोलें और सहीं शैली में बोलें। आवश्यकता से ज्यादा
बोलने से गरिमा कम होती है। कम बोलने से भावनाएं ठीक से व्यक्त नहीं हो पाती, अंतत: बैलंस जरुरी है।
व्यक्तित्व की सबसे बड़ी ताकत :- 'सकारात्मक सोच ' व्यक्तित्व की सबसे बड़ी ताकत होती है। यदि सोच सहीं होगी तो कार्य भी होगा । यदि सोच गलत होगी तो शुरुआत हई गलत हो जायगी। यदि सोच में हीनभावना या नकारात्मक होगी तो आप कोई भी कार्य मन से नहीं कर पाएंगे। इसलिए अच्छा सोचें, अपने बारे में और दुनिया के भरे में भी। सहीं सोचेंगे तो ही समस्यायों का समाधान ढूंढ़ पाएंगे। नहीं तो स्वयं समस्या बनकर रह जायेंगे।

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