एक बाद याद रखना दोस्तों ढूंढने से वही मिलते हैं जो खो गये हैं, वो नही जो बदल गये हैं।
कुछ नहीं बस इस खुबसूरत दुनिया में सांसों के लेने की शुरुआत से , इन सांसों के बंद होने तक जीवन में घटते रह रहे कुछ पल और म्न में उठते विचारों शब्दों के गुलदस्ते में सजाने की कोशिश में .......
बुधवार, 21 अक्टूबर 2015
मेरा देश
जिस तरह का माहौल आज देश में है उसे देख कर मन बहुत व्यथित हो जाता है।अचानक से देश को हो क्या गया है? धर्म और जाति के नाम पर ये कैसा खेल खेल जा रहा है आम आदमी के जीवन से ? उस पर ये नेता जो हर वक्त सुरक्षा कर्मियों से घिरे रहते है अपने वोट की राजनीती के लिए कितना जहर उगल रहे है। इनके मनमे एक बार भी ख्याल नहीं आता की इनके इन जहरीले बातों से देश का वातावरण कितना जहरीला होता जा रहा है।क्यों ये आम आदमी को चैन से जीने नहीं देना नहीं चाहते हैं? ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो यह किसी साजिश के तहत हो रहा है स्वतंत्रता के बाद 66 साल में किसी अन्य पार्टी का पूर्ण बहुमत से सरकार में आना कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और कुछ इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं।इसका जो भी परिणाम निकल रहा है उसे भुगत सिर्फ आम आदमी रहा है।लगता है मेरा देश सिर्फ जाति और धर्म की आग में जलता रहेगा और ये राजनेता अपने स्वार्थ के लिए इस आग को कभी बुझने नहीं देंगे। कोई कृष्ण, कोई राम नहीं जन्म लेगा इन पापियों का अंत करने। हमें ही जागना होगा ,हमें ही सचेत होना होगा की कोई हमारे बीच कोई राजनेता ,कोई धार्मिक नेता जहर न उगल सके।हम पहले इंसान हैं फिर किसी या जाति या धर्म के है।जाति, धर्म को आपने घर की चार दिवारी तक ही सिमित रखे घर के बाहर हम सिर्फ इंसान रहे एक आम आदमी ।
मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015
क्रोध
क्रोध एक ऐसा तेजाब है,जो जिस चीज पे डाला जाता है, उससे ज्यादा उस पात्र को नुकसान पहुँचता है जिसमे वो रखा है।