कुछ नहीं बस इस खुबसूरत दुनिया में सांसों के लेने की शुरुआत से , इन सांसों के बंद होने तक जीवन में घटते रह रहे कुछ पल और म्न में उठते विचारों शब्दों के गुलदस्ते में सजाने की कोशिश में .......
मंगलवार, 8 मार्च 2016
मैं नारी
मैं सृष्टि मैं जन्मदायनि
मैं शक्ति मैं भक्ति
मैं आस्था मैं विश्वास
बिन मेरे
है संसार अधुरा
फिर
क्यों माँगू मैं अधिकार ,सम्मान
क्यों लडूं अस्तित्व की लड़ाई
क्यों मनाओ तुम दिवस मेरा
है हर पल, हर क्षण मेरा
है हर वक्त मेरा
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